bhagwat katha

सच्चे भाव और प्रेम से वश में किए जा सकते हैं भगवान-देवी ममता

श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह में झूमे श्रद्धालु गण

कथा के दौरान महिलाओं ने डांडिया नृत्य करके लुप्त उठाया
 
समुन्द्र को सोखकर तीनों लोको की रक्षा की अगस्त्य मुनि- महामण्डलेश्वर

जोधपुर।
विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, जोधपुर में स्व. शैलादेवी तरड़ की पुण्य स्मृति में स्वामी परिवार जसरासर (बीकानेर) द्वारा आयोजित श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी जी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम् दिवस की कथा सुनाते हुए कथा वाचिका देवी ममता देवीजी ने बताया कि सच्चे भाव और प्रेम से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है, भगवान भाव के भूखे होते है। द्वापर युग का प्रसंग सुनाते हुए देवीजी ने बताया की गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सानिध्य इसलिए मिला, क्योंकि वे त्रेता युग में ऋषि मुनि के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी। शुद्ध भाव से कि गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली होती है।
कथा वाचिका ने श्री कृष्ण की गोपियों के साथ रासलीला का सुन्दर वर्णन किया तथा कहा कि शरद पूर्णिमा को भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की थी। उन्होंने कहा रास को श्रवण करने के लिए बुद्धि नही हृदय की आवश्यकता होती है। भोलेबाबा भी गोपी बनकर रासलीला में प्रवेश किया भगवान कृष्ण उन्हें गोपी के रूप में देखकर बहुत प्रसन्न हुए। रास में गोपी रूप धरने के कारण महादेव गोपेश्वर कहलाए।
तत्पश्चात् कथा वाचिका ने श्री कृष्ण का रुक्मणी के साथ विवाह का सुन्दर चरित्र-चित्रण किया। प्रसंगानुसार ‘राधा को मुरली पर धारण’,  ‘गोपियों के साथ रासलीला’ व  ‘रूकमणी कृष्ण विवाह’ की दिव्य सजीव झांकियों का प्रस्तुतीकरण किया गया।  कथा में आये श्रद्धालुओं ने कृष्ण भजनों पर डांडिया नृत्य कर आनंद उठाया।  भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणी की झांकी के दर्शन किए श्रद्धालु लालायित नजर आये।
kushalgiri ji maharaj

स्वामीजी ने कथा के दौरान अगस्त्य मुनि व कालकेय राक्षस का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि एक बार कालकेय राक्षस व उसके साथी राक्षसों ने तीनों लोकों के सर्वनाश की योजना बनाई। राक्षसों ने ‘तप’ जैसी महा शक्ति को समाप्त करने के लिए धरती लोक पर मौजूद ऋषि-मुनियों का वध करते और समुन्द्र में छिप जाते, कुछ ही दिनों पर धरती पर ऋषि मुनियों के अस्थि कंकाल नजर आने लगे। जिस पर चिंतित देवलोक के देवताओं ने भगवान विष्णु के समक्ष इस समस्या को रखा। भगवान विष्णु ने कहा जल को सोखने क्षमता केवल ऋषि अगस्त्य में है, इसके पश्चात भगवान विष्णु की बात मानकर सभी देवता अगस्त्य मुनि के पास आये, अगस्त्य मुनि ने अपनी शक्तियों के बल पर समुन्द्र का सारा पानी सोख लिया। जिसके बाद उसमें बैठे दानवों और कालकेय का युद्ध देवताओं से हुआ देवताओं ने कालकेय को युद्ध में परास्त कर वध कर दिया। इस प्रकार ऋषि अगस्त्य के समुन्द्र पान से तीनों लोकों की रक्षा हुई।कथा प्रभारी श्रवण सेन ने बताया कि कथा के छठें दिन यजमान बस्तीराम राव  उनकी धर्मपत्नी कमला देवी व कथा आयोजनकर्ता उदयराम स्वामी, संत गोविंदराम महाराज ने भागवतजी की आरती की। आंनदसिंह गहलोत (मानव गो सेवा समिति), बुधराम बिश्नोई, बालकिशन गहलोत, रामसुख बिश्नोई, विश्वकर्मा गो सेवा समिति,सज्जनसिंह भाटी, प्रदिप गहलोत, मदन गहलोत, कैलाश गहलोत, नरेन्द्र देवड़ा, माधोसिंह गहलोत, लक्ष्मण प्रजापत, महिला मंडली , भंवरीदेवी, सोहनीदेवी, महिला मंडली गणेशपुरा, सहित अनेक दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कथा लाइव के दौरान अलावा माहीराम बिश्नोई, पुनाराम राईका, बस्तीराम छलानी, तुष्यार सैनी, टैगोर पब्लिक स्कुल डिडवाना इत्यादि गो भक्तों ने देश के अलग-अलग कोनो से ऑनलाइन सहयोग किया। कथा में आने वाले श्रद्धालुओं को चाय,पानी व बूंदी पकौड़ी का प्रसाद दिया गया, साथ ही कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं को सामाजिक दुरी बनाकर बैठाया गया और सैनिटाइजर का उपयोग किया गया।

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