भागवत कथा सुनने से मिलती है पाप से मुक्ति- देवी ममता (देवीजी)
महिलाओं ने किये कलश धारण, पुरूष श्रद्धालु कलश यात्रा में हुए शामिल
काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार सबसे बड़े शत्रु- महामण्डलेश्वर
जोधपुर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, जोधपुर में स्व. शैलादेवी तरड़ की पुण्य स्मृति में स्वामी परिवार जसरासर (बीकानेर) द्वारा आयोजित पीड़ित गोवंश हितार्थ भागवत कथा का शुभारम्भ आज भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। कथा प्रभारी श्रवण जी सैन ने बताया कि कथा से पूर्व गो चिकित्सालय के संस्थापक श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर कुशालगिरी जी महाराज के पावन सानिध्य में सुन्दर व भव्य कलश यात्रा निकाली गयी जो ठाकुरजी के मंदिर लोरड़ी पंडितजी से प्रारम्भ होकर कथा स्थल तक पहुंची। जिसमें श्रद्धालु व महिलाएं रंग बिरंगे परिधानों में सजकर सिर पर कलश धारण कर मंगल गीत गाते हुए डीजे, ढ़ोल नगाड़ो के साथ नृत्य करते हुए कलश यात्रा निकली। भक्तों का ड्रोन द्वारा आकाष से जगह-जगह पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया तो दूसरे ड्रोन कैमरे से पूरी कलश यात्रा की विडियो शुटिंग की गई। कथा वाचिका देवी ममता (देवीजी) ने प्रथम दिवस पर श्रद्धालुओं को भागवत कथा का प्रादुर्भाव, शुकदेव का जन्म के बारे में विस्तार से बताया। देवी जी ने बताया की भागवत कथा के अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। प्रथम दिन की कथा में आज के मुख्य यजमान जयसिंहजी परिहार व उनकी धर्मपत्नी दिव्याजी परिहार रहे।
कथा प्रभारी ने बताया कि कथा में पण्डित पवन पाठक (आचार्य) ने बहुत ही सुन्दर मंच संचालन किया, वृंदावन की प्रसिद्ध संगीत मण्डली ने सुन्दर भजनों की प्रस्तुति दी एवं जसवंतगढ से आयी टीम द्वारा नवरात्रा के अवसर पर माँ दुर्गा व बाण शैय्या पर भीष्म पितामह की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण किया गया। सांखला कलर लेब द्वारा बड़ी 8 गुणा 12 एल.ई.डी टीवी एवं लाईव प्रसारण की व्यवस्था की गई। कथा के दौरान स्वामीजी ने राजा व चिड़िया का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि काम, क्रोध, मोह, अहंकार व संपति जायजाद शत्रुता का कारण बनता है, इसलिए जीवन में आपसी प्रेम बनाकर रखना चाहिए जिससे आपसी मनमुटाव व शत्रुता का अंत हो जाता है।
इस दौरान भंवरदानजी चारण, भंवरीदेवी राठौड़, जयसिहजी परिहार, मोडारामजी चौधरी, विनोदजी भाटी, जसंवतसिंहजी, महिला मंडली सहित अनेक दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कथा के दौरान कथा आयोजनकर्ता उदारामजी स्वामी व संत गोविंदरामजी महाराज का आगमन हुआ। सप्त दिवसीय कथा में आये भक्तों को चाय, नास्ता दिये गये। साथ ही कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सामाजिक दूरी बनाकर, मास्क व सैनिटाइजर का उपयोग किया गया।