देवी जी का जीवन परिचय

(Devi Mamta Biography)

भारत, पवित्र लोगों और महान आत्मा की भूमि, लंबे समय से पहले कई तपस्वियों का जन्म स्थान बना रहा। जब भी इस धरती पर धार्मिकता, न्याय और धर्म की हानि बढ़ जाती है तो भगवान अपनी पवित्र आत्मा को अन्याय और अनैतिकता का विनाश करने के लिए और लोगों को, समाज और इस दुनिया को ईश्वर और उनकी शिक्षाओं के बारे में बताने के लिए भेजते हैं। ताकि दूसरे लोग जीवन जी सकें।

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जन्म

देवीजी का जन्म माली समाज के सांखला गोत्र में विक्रम संवत 2059 के श्रावण मास शुक्ल पक्ष तृतीया (हरियाली तीज) दिनांक 23 जुलाई 2001 को राजस्थान के नागौर शहर के राठौड़ी कुआँ मोहल्ले में हुआ। देवीजी के माता का नाम पार्वती देवी व पिता का नाम श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कुशालगिरी जी महाराज है, जो विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय नागौर के संस्थापक है। देवीजी को बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक माहौल मिला और उसी क्षेत्र में आप आगे बढ़े मात्र 14 वर्ष की आयु से ही आपने श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से ईश्वर के पवित्र नाम का प्रचार-प्रसार शुरू किया।

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दीक्षा

देवीजी ने अनन्त विभूषित श्री श्री 1008 जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर राधासर्वेश्वरणदेवाचार्य श्री “श्रीजी” महाराज से मंत्र दीक्षा ली। आपके पिताश्री ने अल्प आयु में ही रामायण, गीता, महाभारत, हनुमान चालीसा इत्यादि ग्रंथो का अध्ययन करवाया। आपके पिता श्री ने श्रीमद् भागवत महापुराण का थोड़े ही समय में कठोर अध्ययन करवाकर कंठस्थ करवाया।

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शिक्षा

आप बी.ए में अध्ययनरत है। इसके अलावा देवीजी ने तलवार बाजी, लकड़ी चलाना, बनाटी, नानचाकू , योग, व्यायाम, खेलकूद, बन्दुक निशानेबाजी एवं आत्मरक्षा के गुर इत्यादि आपके पिता श्री से प्राप्त किया।

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श्रीमद् भागवत कथा का प्रचार

देवी जी उपदेश देने, हारमोनियम (वाद्य यंत्र) बजाने में पूरी तरह से सक्षम हैं और धार्मिक रूप से गाती हैं।

अब तक देवी जी ने भारत के कई क्षेत्रों जैसे राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात और कई क्षेत्रों में “भगवान के नाम” का प्रसार किया है। अब तक भागवत सेवा प्रकल्प ट्रस्ट के माध्यम से देवीजी की कथा करवाकर 150 गोशालाओं/ मंदिरो संस्थाओ ने 2 लाख 25 हजार नगद सहित कुल 4 लाख रुपयों का सहयोग लिया है।

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