दान की महिमा
दान की महिमा तभी होती है जब वह निस्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। यहाँ समझने वाली बात यह है कि देना उतना जरूरी नहीं होता जितना कि ''देने का भाव''।
हिन्दू धर्म में दान चार प्रकार के बताए गए हैं, अन्न दान, औषध दान, ज्ञान दान एवं अभयदान एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अंगदान का भी विशेष महत्व है। दान एक ऐसा कार्य, जिसके द्वारा हम न केवल धर्म का पालन करते हैं बल्कि समाज एवं प्राणी मात्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन भी करते हैं।
गौ दान महादान
विश्व स्तरीय गौ चिकित्यालय में पीड़ाग्रस्त गौ माता की माता पिता की भांति सेवा की जाती है। यहाँ प्रतिदिन सैंकड़ों पीड़ाग्रस्त गोवंश अलग अलग राज्यों से उपचार के लिए आते है।
एंबुलेंस सेवा
विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय में निराश्रित दुर्घटनग्रस्त गोवंश को लाने हेतु 18 पशु एम्बुलेंस की व्यवस्था है।
गौमाता बिस्तर हॉल
सर्दी के मौसम में सभी बीमार गौवंश व वन्यजीवों को गर्म कम्बल ओढ़ाए जाते है और सभी वार्डो को चारों तरफ से मखमली दरियों द्वारा ढ़का जाता है।
चिकित्सा सेवा
विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय में दोनों पारी में 60 से 65 कम्पाउंडर और डॉक्टर कार्यरत है। यहाँ पर इलाज के लिए अत्याधुनिक मशीने व सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर मौजूद है
विशाल बांटा गोदाम
पीड़ाग्रस्त गोवंश के लिए पौष्टिक आहार जैसे खल, गुड़, चुरी, जौ, लापसी हेतु गेहुं का बाट बड़ी मात्रा में प्रतिदिन लगता है
शुद्ध मिनरल पानी
गो चिकित्सालय में पीड़ित गौवंश के स्वास्थ्य का पुरा ख्याल रखा जाता है, गौवंश को आरो प्लांट द्वारा फिल्टर (मिनरल वाटर) पिलाया जाता है।
एक्सरे व ऑपरेशन थियेटर
यहाँ 500 एम.ए. व 100 एम.ए. की आधुनिक से एक्स-रे डिजिटल मशीन है। ऑपरेशन (शल्य-चिकित्सा) के लिए आधुनिक औजारों से लैस पृथक ऑपरेशन थियेटर की व्यवस्था है।



