bhanwar narsi punam kulriya

भामाशाह कुलरिया परिवार का हुआ आगमन, गोहितार्थ 11 लाख की घोषणा

भगवान की अद्धभुत लीलाएं मानव जीवन के लिए प्ररेणादायक हैं- देवी ममता

कथा में भगवान कृष्ण की बाल लीला सुन मंत्र मुग्ध हुए श्रद्धालु

खाओ, पियो, मौज करो, झांसा दो की नीति पर न चले देश के युवा-महामण्डलेश्वर

विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागौर में ब्रह्मलीन गो सेवी संत श्री दुलारामजी कुलरिया सिलवा, नोखा (बीकानेर) वालो की पुण्यतिथि पर आयोजित 7 दिवसीय विशाल श्रीमद् भागवत कथा श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरीजी महाराज के सानिध्य में प्रसिद्ध कथा वाचिका देवी ममता (देवीजी) के मुखारबिंद से हो रहा है। कथा के पचंम् दिवस पर चिकित्सालय की सुरभि कामधेनु, गोविंद-गोपाल की पुजा कर कथा को प्रारम्भ किया गया। देवीजी ने नटखट श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की अद्धभुत लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायाक है। भगवान कृष्ण बचपन में अनेक लीलाएं करते हुए सभी का मन मोह लिया करते थे। इस लीला के दौरान भगवान 2-3 वर्ष के बच्चे थे और गोपियां अत्याधिक स्नेह के कारण उनकी ऐसी मधुर लीलाए देखकर आनन्दमग्न हो जाती। तत्पश्चात् कृष्ण भक्त मीरा का वर्णन करते हुए कहा भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त करमा बाई का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु की निःस्वार्थ भाव सरलता से भक्ति करें तो ईश्वर हमारी जरूर सुनते है। जिस प्रकार करमा बाई भगवान को अपना मानकर भगवान श्री कृष्ण को खिचड़े का भोग लगाकर उन्हे खाने के लिए बुलाती है। इस दौरान कहा कि हमें भी करमा बाई की तरह भगवान की शुद्ध भाव से सरलता से ,सहजता से अनन्य भक्ति करनी चाहिए। इसी के साथ भगवान श्री गिरीराजजी को बृजवासियों द्वारा लगाये गये 56 भोग का सुन्दर वृतांत सुनाया। कथा के प्रसंगानुसार जसंवतगढ़ से आयी प्रसिद्ध झाँकी टीम द्वारा ‘भगवान कृष्ण की नटखट बालस्वरूप’ ‘कृष्ण भक्तिन मीरा के वीणा में श्री कृष्ण प्रकट’ एवं ‘छप्पन भोग’ की दिव्य सजीव झाँकी का प्रस्तुतिकरण दिया गया। कथा में आये श्रद्धालुओं ने भक्तिमय गीतो पर जमकर नृत्य किया। पांचवें दिन की कथा के दौरान संत श्री दुलारामजीजी कुलरिया की धर्मपत्नि श्रीमती रामप्यारीजी देवी, उनके पुत्र प्रसिद्ध उधोगपति एवं समाजसेवी पूनमजी कुलरिया, धर्मपत्नी बबीताजी एवं प्रसिद्ध उधोगपति व समाजसेवी नरसीजी कुलरिया की धर्मपत्नी भंवरीजी देवी पुत्र जनकजी कुलरिया नरसीजी कुलरिया की सास शान्तिदेवीजी, तिलोकजी सुथार (पूनमजी कुलरिया के प्रतिनिधी) का आगमन हुआ। भामाशाह कुलरिया परिवार द्वारा पीड़ित गोहितार्थ 11 लाख की घोषणा की गयी। स्वामीजी के द्वारा कुलरिया परिवार का तिलक लगाकर,पुष्पवर्षा कर, पुष्पमाला-साफा पहनाकर धूमधाम से स्वागत सम्मान किया गया। इसके साथ ही संत दुलारामजी कुलरिया की धर्मपत्नी रामप्यारीजी को देवीजी ने स्मृति चिन्ह व शॉल ओढाकर स्वगात-सत्कार किया। कथा के दौरान स्वामीजी ने बताया की इस स्वार्थ युग में युवा खाओ, पीयो, मौज करो, झांसा दो, की नीति पर चल रहे है, लेकिन इस नीति से आप अल्प समय के लिए सुख भोग सकते है, लेकिन पुरूषार्थ से किये गये कर्म से आप जीवनभर सुखी रह सकते है। अतः इस नीति पर युवाओं को नहीं चलना चाहिए, उन्हें कठिन परिश्रम करना चाहिए। संत हीरादासजी महाराज, संत गिरधारीरामजी महाराज व संत गोविंदरामजी महाराज का आगमन हुआ। संत हीरादासजी महाराज ने ‘चुनड़ी’ पर बहुत सुंदर भजन की प्रस्तुति दी। एवाद महिला मण्डली, नरेन्द्रजी देवड़ा, अन्नारामजी जाट, चांदमलजी नायक सहित अनेक दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। भगवान भागवत की आरती के पश्चात् संत श्री की धर्मपत्नी व देवीजी को भक्तों ने छबड़ी में बिठाकर मान सम्मान किया। कथा का सीधा लाइव प्रसारण ‘क्मअप डंउजं’ यूट्यूब चैनल पर दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक किया जा रहा है। कथा श्रवण करने आये हजारों श्रद्धालुओं को चाय,ठंडा मीठा शर्बत व छप्पन भोग का प्रसाद दिया गया।

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