पानी में 14 किलो की पत्थर की कुण्डी तेराई, भक्त हुए अचंभित
कथा में भगवान कृष्ण की बाल लीला सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु
गोवंश की रक्षा करने वालों का सम्मान करना हमारा दायित्व- महामण्ड़लेश्वर
तत्पश्चात् कथा वाचिका ने बताया कि भगवान स्वयं रसरूप है। वे अपनी रसमयी लीलाओं से सभी को अपनी ओर खींचते है। इस लीला के दौरान भगवान 2-3 वर्ष के बच्चे थे और गोपियां अत्याधिक स्नेह के कारण उनकी ऐसी मधुर लीलाए देखकर आनन्दमग्न हो जाती।
तत्पश्चात् भक्त मीरा का वर्णन करते हुए कहा श्री कृष्ण की अनन्य भक्त करमा बाई का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु की निस्वार्थ भाव सरलता से भक्ति करें तो ईश्वर हमारी जरूर पुकार सुनते है। जिस प्रकार करमा बाई भगवान को अपना मानकर श्री कृष्ण को खिचड़े का भोग लगाकर उन्हे खाने के लिए बुलाती है। इस दौरान कहा कि हमें भी करमा बाई की तरह भगवान की शुद्ध भाव से सरलता से ,सहजता से अनन्य भक्ति करनी चाहिए। इसी के साथ भगवान श्री गिरीराज को बृजवासियों द्वारा लगाए गये 56 भोग का सुन्दर वृतांत सुनाया। कथा के प्रसंगानुसार जसंवतगढ़ से आयी प्रसिद्ध झाँकी टीम द्वारा ‘भगवान कृश्ण की नटखट बालरूप’ ‘कृष्ण भक्त मीरा के वीणा में श्री कृष्ण प्रकट’ एवं ‘छप्पन भोग’ की दिव्य सजीव झाँकी का प्रस्तुतिकरण दिया गया।
कथा के प्रारम्भ में स्वामीजी ने पानी की कड़ाई में राम-नाम की सिद्धि प्राप्त 14 किलो की पत्थर की कुण्डी में गो माता की प्रतिमा को रखकर मंत्र उच्चारणों के साथ पुष्पमाला पहनाकर व पुष्प अर्पित कर तेराई गयी, कथा में पधारे श्रद्धालुओं में जिज्ञासा का विषय रहा, इस चमत्कारी कुण्डी को देखने के लिए भक्त लालायित नजर आये। इसी दौरान उन्होंने बताया कि गो माता की रक्षा और सेवा करने वालो का समाज और देश में सम्मान होना चाहिए क्योंकि गोमाता हमारी धार्मिक, आध्यात्मिक सस्कृति का हिस्सा है। हाल ही दिनों में 13 गोवंशों को तस्करों से अपनी जान जोखिम में डालकर छुडवाने वाले दिपेन्द्रसिंह राठौड़ (राष्ट्रीय अध्यक्ष-कामधेनु सेना) व दलीपसिंह राठौड़ (कोषाध्यक्ष-चुरू) को ‘गौरक्षक की उपाधी’ देकर मंच पर सम्मानित किया गया।
कथा प्रभारी श्रवण सेन ने बताया कि पांचवें दिन की कथा में यजमान मगनाराम मेघवाल उनकी धर्मपत्नी बाबुदेवी व रामलाल आचार्य उनकी धर्मपत्नी सुजाता देवी रहे। कथा के मध्य जोधपुर निवासी प्रेमसिंह सोलंकी का परिवार सहित आगमन हुआ आज उनकी तरफ से भगवान केे लिए 56 भोग भेंट किये गये। कथा के दौरान डुंगरसिंह सोलंकी, प्रेमसिंह सोलंकी, नंदलाल ब्राह्मण, सिटी बस जोधपुर, पारस, शंकरलाल गोहितार्थ सहयोग किया सभी दानदाताओं को व्यासपीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इनके अलावा कथा लाइव में चौ. देवीलाल मुण्ड़, बलदेवदास लढ़ा, गोपालराम प्रजापत, संतोषप्रकाश लढ़ा, निर्मलादेवी जाजोदिया, आदुराम, श्यामलाल पुंनीया, शांतिलाल टाटिया, दिनेश गहलोत इत्यादि भक्तों ने पीड़ित गोहितार्थ देश के अलग-अलग कोने से ऑनलाइन सहयोग किया। कथा में संत गोविंदराम महाराज, संत भंवरदसास महाराज, उदयराम स्वामी, नरसिंह गहलोत, मदन टाक उपस्थित रहे।
कथा प्रभारी ने बताया कि यह सात दिवसीय कथा 13 अक्टूबर तक चलेगी, जिसका प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक सीधा लाइव प्रसारण ‘देवी ममता’ यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है। कथा श्रवण करने आये श्रद्धालुओं को चाय, पानी व छप्पन भोग का प्रसाद दिया गया।